बहस है भड़ास है - Behas Hai Bhadaas Hai


बहस है भड़ास है - Behas Hai Bhadaas Hai


हिंदी बहस सर्कस  की दूकान






















हर तरफ जो बहस है 
बहस है भड़ास है 
आदमी निराश है  
क्या घंटा विकास है 

जलने की आदत है 
तपती हुई रेत में 
तरुवर की छांव भी 
लिपटी इक रेस में 

अजब सी ये प्यास है 
चुबती हर सांस है 
शवों की ये नगरी 
लगती प्रगाढ़ है 




खून है ख़राब है 
फैली बिसात है 
आज मेरी बारी 
तो कल तेरी रात है 

बिच्छुओं के मेले में 
नाचता अकेला है
वाद का विवाद है 
या गहरी सी चाल है

मेरी बात सत्य है
तेरी में झोल है
सत्य ही असत्य है
अजब सा ये मेल है


रेंगती है रौशनी
तो नाचता अँधेरा है 
बहस है भड़ास है 
फैली बिसात है || 






DISCLAIMER:- This picture is not pasted with intention of maligning a single broadcasting group. Instead consider it as a general representation for news channels these days.



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